Wednesday, November 21, 2018

आधिकारिक घोषणा, अब बदल जाएगा किलो का वजन Ezeonsoft tech news

किलोग्राम का स्टैंडर्ड अब तक फ्रांस में रखे सिलेंडर आकार के एक धातु से तय होता आया है. उस धातु के वजन को एक किलोग्राम मान लिया गया और अब उसी स्टैंडर्ड के हिसाब से किलो का वजन तय है. लेकिन वैज्ञानिक इसे बदलने का प्रयास में लगे थे




कैसे तय किया जाता है किलो का स्टैंडर्ड
किलोग्राम का स्टैंडर्ड अब तक फ्रांस में रखे सिलेंडर आकार के एक धातु से तय होता आया है. उस धातु के वजन को एक किलोग्राम मान लिया गया
फिलहाल वैज्ञानिक चाहते थे कि किलो वजन को पेरिस में रखे मिश्रित धातु के सिलेंडर से नापने की बजाए किसी प्राकृतिक भार को नापने की इकाई बना दिया जाए, और ये इकाई है 'प्लांक कॉन्सटैंट'. वैज्ञानिक जल्द ही किलोग्राम के आदर्श वजन को दर्शाने का नया तरीका ढूंढने वाले हैं.
फ्रांस में रखे धातु को क्यों बदलना चाहते हैं ?
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) के जीना कुब्रायच का कहना है कि किलो के स्टैंडर्ड भार को दर्शाने के लिए जिस धातु का इस्तेमाल किया जाता है, वो गोल्फ की बॉल के बराबर ऊंचा एक सिलेंडर है, जिसे एक छोटे से कांच के बक्से में रखा गया है. वे बाताते हैं कि इसकी देख-रेख में काफी संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है और इसके बाद भी इनके नष्ट होने का खतरा बना रहता है. अगर ये नष्ट हो गया तो दुनिया के पास किलो के सटीक भार को दर्शाने के लिए कोई पैमाना नहीं बचेगा. इसलिए एक ऐसा फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है जिसके नष्ट होने का डर ही न हो.
कुछ दिन पहले बांट में 30 माइक्रोग्राम की बढ़त देखी गई थी. हालांकि यह ग्राहकों के लिए फायदे की ही बात थी. लेकिन दुनियाभर के विज्ञान के लिए यह चिंता का सबब बन गया था. क्योंकि दवाओं के मार्केट जैसे कई क्षेत्रों में इसके चलते बड़े बदलाव आ सकते थे. खासकर उनमें जिनमें कम वजन की बहुत अहमियत होती है.

बताया जाता है कि पैरिस में रखे एक किलो के आदर्श भार वाले धातु में 90% प्लेटिनम और 10% इरेडियम है. इस बक्से को खोलने की दुनिया में 3 ही चाबी हैं. तीनों अलग-अलग जगह रखी गई हैं.

वैज्ञानिक अब माप के तौर पर प्लांक कॉन्स्टैंट का प्रयोग करेंगे. यह क्वांटम मैकेनिक्स की एक वैल्यू है. यह ऊर्जा के छोटे-छोटे पैकेट्स का भार होता है. इसकी मात्रा 6.626069934*10-34 जूल सेकेंड है. जिसमें सिर्फ 0.0000013% की ही गड़बड़ी हो सकती है. इससे एम्पियर, केल्विन और मोल जैसी ईकाईयों में भी बदलाव आ सकता है.

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